
दीवाली के त्योहार रोशनी के त्योहार के रूप में मनाया जाता है. दुनिया भर में, दीवाली उत्सव चरम उत्साह और जोश के साथ भारतीयों द्वारा मनाया जाता है. दिवाली पर सूचना प्रकाश आतिशबाजी और नष्ट पटाखों से दिन पर समारोह भी शामिल है. लोग प्रकाश दीये और लंका से अयोध्या के लिए भगवान राम की वापसी मनाया के लिए मोमबत्ती का उपयोग करें. वे रावण पर भगवान राम की जीत का जश्न मनाने. इसलिए, त्योहार बहुत खुशी लाता है. लोगों को सफेद करने के लिए अपने घरों को धोने और रंगोली, प्रकाश और मोमबत्तियों के साथ इसे सजाने का उपयोग करें. दीवाली के दिन पर, लोग देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं. वे, रोशनी, पटाखों के साथ उनके घरों को सजाने मिठाई वितरित और खरीदारी के लिए जाना, नए कपड़े पहनते हैं.
लोग अपने त्योहार के बारे में बहुत उत्साहित हैं और इस तरह वे दीवाली के दिन से पहले एक महीने की तैयारी शुरू. वे सफेद, उनके घरों धो रोशनी, रंगोली साथ इसे सजाने और मिठाई और प्रकाश पटाखे तैयार करते हैं. वे खुद के लिए और भी अपने प्रियजनों के लिए खरीदारी के लिए जाना. वे रिश्ते और दोस्ती के बंधन को मजबूत करने के लिए उपहार और मिठाई दे.
भारत में मनाया सभी त्योहारों की, दीवाली के त्योहार से अब तक का सबसे महत्वपूर्ण और आकर्षक एक है. यह हर धर्म के लोगों ने देश भर में पूरे उल्लास के साथ मनाया जाता है. त्योहार यह जो धर्म या आप को सदस्य बनने के लिए दुनिया का हिस्सा है जो परेशान नहीं करता है कि इतना सुंदर और रहस्यपूर्ण है. हर कोई अपने उत्सव में शामिल हो जाता है और अपनी सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो जाता है. लोग मिठाई, कपड़े, आतिशबाजी और मिठाई के लिए परिवार की खरीदारी के लिए जाने के रूप में यह त्योहार भी वाणिज्यिक वार्षिक उपभोक्ता होड़ में से एक बन गया है. इस दिवाली के त्योहार की खूबसूरती और पहेली है.
पांच दिनों के लिए मनाया जाता है, जो दिवाली त्योहार के बारे में जानकारी. यह अमावस्या कहा जाता है अंधेरी रात है जो कार्तिक महीने के पन्द्रहवें दिन, पर मनाया जाता है. दो दिन दीवाली के त्योहार से पहले, धनतेरस त्योहार धन्वन्तरि त्रयोदशी के साथ शुरू होता है, जो मनाया जाता है. हिंदुओं कैलेंडर के अनुसार, यह कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की 13 वीं चांद्र दिन है. इस दिन नए बर्तन खरीद के लिए अपनी एक परंपरा. दीवाली के त्योहार से एक दिन पहले, छोटी दीवाली मनाई जाती है. छोटी दीवाली भी नरक चतुर्दशी के रूप में जाना जाता है. तीसरे दिन, यानी, दीवाली के दिन लोगों को आशीर्वाद पाने के लिए भगवान गणेश के साथ देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं और अपने घरों में धन और समृद्धि है. दीवाली के अगले दिन, पड़वा या गोवर्धन पूजा मनाया जाता है. लोग उसकी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत धारण करके भारी बारिश से लोगों की रक्षा की है जो भगवान गोवर्धन की पूजा. पांचवें दिन, भाई दूज या भैया दूज मनाया जाता है. इस दिन बहन और भाई के रिश्ते को मनाता है.
दीपावली के पांच दिन
दिवाली खुशी, वैभव, चमक और खुशी का त्योहार है। यह रोशनी का त्योहार है और सभी भारतीयों द्वारा पूरी दुनिया में बड़े उत्साह के साथ मनाया है। इस त्योहार की विशिष्टता पाँच विभिन्न दिनों तक होती है, प्रत्येक दिन का अपना अलग महत्व है। पाँच दिनों तक लोग इस त्योहार को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं।
दीवाली का पहला दिन: धनतेरस
दीवाली के पहले दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। धनतेरस को धनवन्तरी दिवस भी कहा जाता है। यह वास्तव में कृष्ण पक्ष, कार्तिक के महीने के तेरहवें दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान धनवन्तरी मानव जाति के उद्धार के लिए समुद्र से बाहर आए थे। इस दिन दीपावली समारोह की पूरे जोश के साथ शुरुआत हो जाती है।
सूर्यास्त के दौरान इस दिन हिंदु नहा कर मृत्यु के देवता यम राज की असामयिक मृत्यु से बचाव के लिए प्रार्थना करते हैं।पूजा का स्थान हमेशा तुलसी या किसी अन्य पवित्र वृक्ष के निकट बनाया जाना चाहिए। इस दिन धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। कुबेर यंत्र की स्थापना कर, दीपक जला कर पूजा करें और मिठाई का प्रसाद अर्पित करें।
दिवाली का दूसरा दिन: छोटी दीवाली
दीपावली के दूसरे दिन नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है।ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने दानव नर्कासुर को नष्ट कर दुनिया को भय से मुक्त बना दिया था। इस दिन तेल से शरीर की मालिश की जाती है ताकि थकान से राहत मिल जाए और दीवाली शक्ति और भक्ति के साथ मनाया जा सके। इस दिन नवरत्न माला धारण करें जिससे आप उच्च पद प्राप्त कर सकेंगे और जीवन में विकास करेंगे।
जब तक माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की अराधना ना की जाए दिवाली का उत्सव अधूरा माना जाता है। हिंदू स्वयं को और उनके परिवारों को शुद्ध कर दिव्य देवी लक्ष्मी से बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की विजय प्राप्त करने का ,अधिक धन और समृद्धि का आशीर्वाद माँगते हैं। दिवाली के दिन लक्ष्मी और गणेश यंत्र के साथ हम श्री यंत्र की भी स्थापना कर सकते हैं। श्री यंत्र के द्वारा घर की सभी नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है व शांति, समृद्धि और सद्भाव की वृद्धि होती है।
दिवाली का चौथा दिन: पड़वा व गोवर्धन पूजा
चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। कई हजारों साल पहले, भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठा कर बृज के लोगों का उद्धार किया था।यही कारण है कि तब से, हर साल हिन्दू गोवर्धन पूजा कर के इस दिन को उत्सव के रूप में मनाते हैं। एक मुखी रूद्राक्ष को धारण कर आप जीवन में सफलता, सम्मान और धन की प्राप्ति कर सकते हैं।
दीवाली का पांचवा दिन: भाई दूज
दीवाली के पांचवें दिन को भाई दूज कहा जाता है। सामान्य रूप से यह दिन भाई बहनों को ही समर्पित होता है। यह मान्यता है कि वैदिक युग में मृत्यु के देवता यम ने इस दिन अपनी बहन यमुना के घर जाकर उनसे तिलक करवा कर उन्हे मोक्ष का वरदान दिया था। उसा प्रकार भाई इस दिन बहन के घर जाते हैं और बहनें टीका कर भाई की सुख समृद्धि की मंगल कामना करती हैं। भाई इस दिन बहनों को भेंट स्वरूप कुछ उपहार देते हैं। भाई उपहार के रूप में फेंग शुई गिफ्ट दे सकते हैं जो दिखने में भी आकर्षक होंगे और बहन के लिए सुख समृद्धि ले कर आएंगे। बहनें बगलामुखी यंत्र भाई को उपहार स्वरूप दे सकती हैं, जो सभी बुरी नज़र से भाई की रक्षा करेगा।
दीवाली - रोशनी का त्योहार
दीवाली रोशनी का त्योहार है, ऊपर चांद
अमावस्या के अंधकार में हल्का होता है और इस अंधकार का कोई अनुमान भी नही
लगा सकता जब एक साथ इतनी रोशना जगमगा उठती है। यह अमावस्या, अश्विन, यानी
अक्टूबर या नवंबर में हर साल की हिन्दू महीने के अंधेरे पखवाड़े के 15 वें
दिन मनाया जाता है। सभी आयु वर्ग के लोग इस त्योहार में भाग लेते हैं।
दीवाली में घरों को रंगोली और विभिन्न तरह के रोशनी से सजाया जाता है,
मिट्टी के दीये या लैंप जलाके, पटाखे फोड़ के और प्रियजनों को उपहार भेज
कर इस त्योहार को मनाया जाता है। दिवाली यही चरितार्थ करती है - असतो माऽ
सद्गमय , तमसो माऽ ज्योतिर्गमय। दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है ।
कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती है। लोग अपने घरों ,
दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं । घरों में मरम्मत,
रंग-रोगन,सफ़ेदी आदि का कार्य होने लगता हैं। लोग दुकानों को भी साफ़
सुथरा का सजाते हैं । बाज़ारों में गलियों को भी सुनहरी झंडियों से सजाया
जाता है । दीपावली से पहले ही घर-मोहल्ले, बाज़ार सब साफ-सुथरे व सजे-धजे
नज़र आते हैं । दीपावली एक दिन का पर्व नहीं अपितु पर्वों का समूह है ।
दशहरे के पश्चात ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती है । लोग नए-नए
वस्त्र सिलवाते हैं । इस दिन घरों में सुबह से ही तरह-तरह के पकवान बनाए
जाते हैं । बाज़ारों में खील-बताशे , मिठाइयाँ ,खांड़ के खिलौने ,
लक्ष्मी-गणेश आदि की मूर्तियाँ बिकने लगती हैं । स्थान-स्थान पर
आतिशबाजियों और पटाखों की दुकानें सजी होती हैं । सुबह से ही लोग
रिश्तेदारों, मित्रों, सगे-संबंधियों के घर मिठाइयाँ व उपहार बाँटने लगते
हैं । दीपमाला दीपावली की शाम लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है ।
पूजा के बाद लोग अपने-अपने घरों के बाहर दीपक व मोमबत्तियाँ जलाकर रखते
हैं । चारों ओर चमकते दीपक अत्यंत सुंदर दिखाई देते हैं । रंग-बिरंगे
बिजली के बल्बों से बाज़ार व गलियाँ जगमगा उठते हैं । बच्चे तरह-तरह के
पटाखों व आतिशबाज़ियों का आनंद लेते हैं । रंग-बिरंगी फुलझड़ियाँ ,
आतिशबाज़ियाँ व अनारों के जलने का आनंद प्रत्येक आयु के लोग लेते हैं। देर
रात तक कार्तिक की अँधेरी रात पूर्णिमा से भी से भी अधिक प्रकाशयुक्त
दिखाई पड़ती है। दीपावली के दूसरे दिन व्यापारी अपने पुराने बहीखाते बदल
देते हैं। वे दुकानों पर लक्ष्मी पूजन करते हैं। उनका मानना है कि ऐसा
करने से धन की देवी लक्ष्मी की उन पर विशेष अनुकंपा रहेगी। किसानों के
लिये इस पर्व का विशेष महत्त्व है। खरीफ़ की फसल पककर तैया हो जाने से
कृषकों के खलिहान समृद्ध हो जाते हैं। कृषक समाज अपनी समद्धि का यह पर्व
उल्लासपूर्वक मनाता हैं। |
दीपावली -"रोशनी का त्योहार ' दीपावली भारत में एक रोशनी के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। आसमान में पटाखों की रोशनी के साथ घरों की रोशनी स्वास्थ्य, धन, ज्ञान, शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए आकाश को श्रद्धा की अभिव्यक्ति है। एक विश्वास के अनुसार, पटाखों और आतिशबाजी की ध्वनि पृथ्वी पर रहने वाले लोगों की खुशी का उनके देवताओं को संकेत देते हैं। हालाँकि दिवाली "रोशनी के त्योहार 'के रूप में जाना जाता है,पर इसका महत्वपूर्ण आध्यात्मिक अर्थ" आंतरिक प्रकाश की जागरूकता है। दिवाली विशेष रूप से सभी अंधेरे ,सभी बाधाओं और अज्ञान को नाश करने का और आंतरिक प्रकाश का उत्सव है। दीवाली में उत्सव आतिशबाजी, पूजा, रोशनी, मिठाई के बंटवारे के पीछे की कहानी का सार एक ही है - भीतरी आत्मा की सभी अज्ञानता को मिटा कर वास्तविकता में आनन्द को प्राप्त करना। दीवाली में घरों में मोमबत्तियाँ, बिजली की रोशनी और आतिशबाजी के प्रकाश द्वारा पूरे घर को जगमग किया जाता है। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए पूरे घर की एक महीने पहले ही साफ-सफाई की जाती है। घर के कोने कोने को सजाया जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार इस दिन विक्रम कैलेंडर के नए वर्ष की शुरूआत हो जाती है, व्यापारी वर्ग भी इस दिन किताबों का नया खाता खोलते हैं।दिवाली के बहुत पहले से लोग अपने मित्रों के और रिश्तेदारों के घर जाकर उपहार और मिठाईयों का आदान – प्रदान करते हैं। इस दिन सभी घर के लोग नए कपड़े पहनते हैं, जिसके लिए बहुत पहले से खरीदारी शुरू हो जाती है। इस दिन देवी लक्ष्मी और विघ्नविनाशक गणेश की पूजा की जाती है। दिवाली के दिन लक्ष्मी यंत्र और गणेश यंत्र की स्थापना कर, दीपक जला कर प्रसाद चढ़ा कर, फूलों द्वारा उनकी पूजा करें। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि लक्ष्मी और गणेश की पूजा सदैव एक साथ ही करनी चाहिए। इनकी पूजा द्वारा घर में धन और सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। |
देवता और मंत्र
दीपावली रोशनी का त्योहार हैं। जगमगाते दीपो के बीच माँ लक्ष्मी की प्रतिमा और माँ की पूजा करते आशीर्वाद के प्रार्थी भक्त, कुछ ऐसा समा होता है, दीपावली के त्योहार का। इस दिन लक्ष्मी, गणेश और धन के राजा कुबेर की पूजा होती हैं, और भक्त लोग ईश्वर से धन-धान्य से सम्पन्न होने की प्रार्थना करते हैं। धन का देवी, लक्ष्मी धन, सुख-समृद्धि, विलासिता, रोशनी और सम्पन्नता की देवी लक्ष्मी, प्रभु विष्णु की अर्धांगिनी है। पुराणो के अनुसार दया की देवी लक्ष्मी त्रेता युग में सीता का अवतार लेकर श्री राम की संगिनी बनी और दवापर युग मे राधा और रुकमणि का रुप धारण कर श्री कृष्ण की धर्मपत्नी बनी। देवी लक्ष्मी अपने रुप, सौंदर्य और आकर्षण के लिए भी प्रख्यात हैं। महा लक्ष्मी अपने भक्तो को कभी निराश नही करती, और उनकी मुरादे पूरी कर उन्हे धन और समृद्धि से भरपूर करती हैं। वेदों मे लक्ष्मी को “लक्ष्यविधि लक्षमिहि” के नाम से संबोधित किया गया हैं, जिसका अर्थ होता हैं, जो लक्ष्य प्राप्ति मे मदद करें। गणपति देव हिन्दुओ द्वारा सबसे ज़्यादा पूजे जाने वाले भगवानों मे सबसे प्रमुख हैं, गणेश भगवान। जिन्हे, गणपति, विनायक, लंबोदर आदि नामों से जाना और पूजा जाता हैं। सिर्फ भारत देश मे ही नही, गणेश जी की प्रतिमा की पूजा विश्व के दुसरे भागों मे भी की जाती हैं। गणेश जी का हाथी का सिर परेशानियों को दूर करता हैं, इसलिए उन्हे विघ्नहर्ता भी कहा जाता हैं। हिन्दु धर्म में कोई भी रस्म या विधि बिना गणेश जी पूजा किए संपन्न नही मानी जाती हैं। गणेश हर समारोह को शुभ बना देते हैं। धन के राजा कुबेर धन के राजा कुबेर को हिन्दु धर्म में प्रमुख यक्षों मे से एक माना जाता हैं, उन्हे उत्तर दिशा (दिक-पाला) का स्वामी माना जाता हैं, कई मान्यताओ के अनुसार कुबेर को धरती का रक्षक (लोकपाला) के नाम से भी जाना जाता हैं। कुबेर को इस पूरे विश्व की धन-दौलत और सम्पत्ति का स्वामी माना जाता हैं। वेदों और पुराणों में कुबेर को बुरी शक्तियों का स्वामी माना जाता हैं। |
दीवाली और पौराणिक कथाएं दीपावली रोशनी का त्योहार है। पूरे भारत मे इसे बडे धूम-धाम से मनाया जाता है। दीयो की जगमगाहट के बीच हर कोई ईश्वर से सुख-समृद्धि की प्रार्थना करता है। पटाखो की आवाज़, मोम्बत्ती का प्रकाश, यह सब दीवाली की शान है। दीवाली हिन्दुओ का प्रमुख त्योहार है। यह पर्व अक्तूबर और नवम्बर मे मनाया जाता है। भारत के लोगो के लिए दीवाली के दिन से ही नया साल शुरु हो जाता है। अब यह पर्व भारत मे न सिमटकर पूरी दुनिया मे बडे़ अत्साह के साथ मनाया जाता है। राम की अयोध्या वापसी: रामायण की कथा के अनुसार, भगवान श्री राम, रावण को युद्ध मे पराजित कर सीता और लक्ष्मण सहित अयोध्या लौटे थे। चौदह साल का वनवास भोगने के बाद जब श्री राम अयोध्या वापस आए थे तो, अयोध्या के लोगो ने अपने राजा के स्वागत के लिए घी के दिए जलाए थे। पटाखे जला कर, नाच-गा कर लोगो ने अपनी खुथियां व्यक्त करी थी। उस दिन से लेकर आज तक हर साल यह दीवाली के नाम से मनता आ रहा है। और आज भी इस त्योहार को रोशनी का प्रतीक मानते है। कृष्ण द्वारा नरकासुर का वध : एक दुसरी कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने इस दिन दानव नरकासुर का वध किया था। उनकी जीत की खुशियां मनाने के लिए गोकुल के लोगो ने दीए जलाए। हिन्दू धर्म के लोगो के लिए राम और कृष्ण दोनो ही प्रमुख भगवान है तो इस कारण दीवाली भी हिन्दु धर्म मे बहुत खास महत्व रखती है। दिवाली शॉपिंग क्या आप यह सोच रहे हैं कि इस दिवाली अपने परिवार और मित्र को ऐसा क्या उपहार दें जो उनके लिए यादगार बन जाए ? यदि ऐसा है, तो हम आपको उपहार तय करने में मदद कर सकते हैं जो भाग्य और समृद्धि ले कर आता है। यह दीवाली अपने दिल के पास लोगों के लिए और अधिक अनूठी और यादगार बना दें। उपहार के लिए क्या खरीदें ? धनतेरस के साथ शुरू करते हैं, धनतेरस को सभी चीजों को खरीदने के लिए या एक नया व्यापार शुरू करने के लिए शुभ दिन माना जाता है। यह व्यापारी समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है। अपने परिवार या मित्रवर्ग में व्यापारी लोगों के लिए एक लक्ष्मी यंत्र या एक कुबेर यंत्र उपहार के रूप में दें, ताकि वह उनके नए बिजनेस के लिए अच्छी किस्मत लाने में मदद करें। दूसरे दिन नरक चतुर्दशी के रूप में या और छोटी दीवाली के रूप में जाना जाता है. इतिहास के अनुसार, इस दिन जब भगवान कृष्ण दानव नरकासुर को मारा था। इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है तो, इस दिन श्री यंत्र या पारद दुर्गा उपहार के रूप में दे सकते हैं। तीसरे दिन दिवाली का सबसे महत्वपूर्ण दिन है जब देवी लक्ष्मी, धन की देवी, पूजा है। उपहार देने के लिए लक्ष्मी यंत्र, गणपति यंत्र, पारद गणेश और पारद लक्ष्मी सबसे शुभ होगा। गोवर्धन पूजा के दिन पर एक तुलसी माला या एक कमल गट्टा माला भेंट सौभाग्य, और अपने करीबी लोगों के लिए धन समृद्धि ला सकता है। दीवाली की पाँचवां और अंतिम दिन भाई दूज के रूप में जाना जाता है। यह एक दिन जब भाइयों और बहनों को एक दूसरे के लिए अपने प्यार और स्नेह को एकजुट हो कर व्यक्त करते हैं। एक पारद दुर्गा, तुलसी माला या एक श्री यंत्र उपहार में देना अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए भाग्यशाली साबित हो सकता है। तो, इस दिवाली अपने परिवार और मित्रों को सौभाग्य, धन, स्वास्थ्य और समृद्धि का विशेष उपहार देकर दिल के और करीब लाएं। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं! |
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